सोशल मीडिया पर हर मिनट नई खबरें आती हैं। पर क्या हर चीज़ सच होती है? जवाब नहीं। यहाँ छोटे-छोटे संकेत हैं जो आपको तेज़ी से बताते हैं कि कोई पोस्ट भरोसेमंद है या नहीं। सबसे पहले लेखक या पेज की पहचान देखिए — क्या वह किसी स्थापित न्यूज़ स्रोत से जुड़ा है? दूसरी बात, खबर में स्रोत दिए गए हैं या नहीं। स्रोत के बिना बड़ी दावा करना शक के लायक होता है।
अगर किसी खबर में स्पष्ट तारीख, लोकेशन और फोटो/वीडियो का संदर्भ है तो उसे आगे जांचें। फोटो रिवर्स सर्च या वीडियो का पहला अपलोड देखने से असली कहानी मिलेगी। टिप्पणी और शेयर की संख्या कभी-कभी भ्रामक होती है; कंटेंट की क्वालिटी पर ध्यान दें, वायरलिटी पर नहीं।
रिवर्स इमेज सर्च का प्रयोग करके फोटो की असल स्रोत जाँचें। वीडियो के लिए फ्रेम काटकर उसे अलग-थलग खोजें। हमेशा दो स्वतंत्र स्रोतों से पुष्टि करें — एक स्रोत सरकारी या प्रमुख मीडिया का होना अच्छा है। क्या किसी विशेषज्ञ या रिपोर्टर ने उस घटना पर लिखा है? अगर नहीं, तो हड़बड़ी में शेयर न करें।
हैशटैग और टाइमलाइन जांचें। कई बार वही घटना पहले कहीं और रिपोर्ट हुई होती है और बाद में अलग संदर्भ में दिखायी जाती है। संदिग्ध पोस्ट में भावनात्मक भाषा और डर फैलाने वाले शब्द ज़्यादा होते हैं — यह रेड फ्लैग है।
शेयर करने से पहले खुद से तीन सवाल पूछिए: क्या यह तथ्य है या राय? क्या स्रोत भरोसेमंद है? क्या यह जानकारी किसी के लिए नुकसानदेह हो सकती है? अगर उत्तर स्पष्ट नहीं है, शेयर मत कीजिए।
प्राइवेसी सेटिंग्स पर ध्यान दें। अपने अकाउंट की गोपनीयता सीमित रखें और कौन आपकी पोस्ट देख सकता है, उसे समय-समय पर चेक करें। किसी भी संदिग्ध लिंक पर क्लिक करने से पहले URL देखें; छोटे बदलाव जैसे 'rn' के बजाय 'm' अक्सर फिशिंग के संकेत होते हैं।
अगर आप न्यूज राइटर या आम पाठक हैं, तो सीधे रिपोर्ट या फीडबैक दें — गलत जानकारी को रिपोर्ट करने का विकल्प अक्सर पोस्ट के पास होता है। आपका छोटा प्रयास किसी बड़े दुष्प्रभाव को रोक सकता है।
यह टैग पेज आपको सोशल मीडिया से जुड़ी खबरें, बहस और सुझाव देता है। यहां आप ऐसे आर्टिकल पाएँगे जो टीवी चैनलों, अख़बारों और ऑनलाइन रिपोर्टिंग पर सवाल उठाते हैं। हमारी कोशिश है कि आप तेज़, साफ और सुलझी जानकारी पायें ताकि सोशल मीडिया पर सुरक्षित और समझदारी से रहें।
भारतीय राजनीतिक समाचार के लिए अनबायीस्ट स्रोत मुख्य रूप से अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय पेपर, टेलीविज़न और अंतरराष्ट्रीय अंतर्निहित सामग्री हैं। अतिरिक्त स्रोत स्थानीय और स्थानीय पेपर, ऑनलाइन मीडिया, वृत्तपत्रीकरण और सोशल मीडिया भी हैं।