चक्रवात मोंथा आंध्र प्रदेश तट पर टकराएगा, 10 राज्यों में भारी बारिश की चेतावनी

चक्रवात मोंथा ने बंगाल की खाड़ी में अपना गहरा रूप ले लिया है — और अब यह भारत के तटीय इलाकों को तबाही की ओर धकेल रहा है। 27 अक्टूबर 2023 की शाम तक इसकी हवाएं 88 किमी/घंटा की रफ्तार से चल रही थीं, लेकिन अगले 24 घंटों में यह 110 किमी/घंटा तक पहुंच सकती है। ये सिर्फ एक संख्या नहीं, ये घरों के छत उड़ाने, बिजली के खंभे गिराने और तटीय गांवों को पानी में डुबोने की क्षमता रखती है। आईएमडी के अनुसार, चक्रवात मोंथा 28 अक्टूबर 2023 की शाम को काकीनाडा के पास मछलीपट्टनम और कालिंगपट्टनम के बीच आंध्र प्रदेश के तट को पार करेगा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू से फोन पर बात की और केंद्रीय राहत टीमों की तैनाती का आश्वासन दिया।

चक्रवात का रास्ता: तट से लेकर मध्य भारत तक

मोंथा सिर्फ आंध्र प्रदेश तक सीमित नहीं है। यह एक विस्तृत तूफानी चक्र है, जिसके बाहरी बादल अब तक विशाखापत्तनम, काकीनाडा और मछलीपट्टनम में हल्की बारिश शुरू कर चुके हैं। लेकिन असली तूफान अभी आ रहा है। आईएमडी के वैज्ञानिक प्रवीण कुमार के मुताबिक, चक्रवात का दक्षिण-पश्चिम भाग सबसे खतरनाक है — जिसमें ईस्ट गोदावरी, वेस्ट गोदावरी, एलुरु, राजामुंद्री और कोनसीमा जैसे जिले शामिल हैं। यहां हवाएं 90-110 किमी/घंटा तक पहुंच सकती हैं।

लेकिन यहीं खत्म नहीं हो रहा। जैसे ही मोंथा तट से टकराएगा, उसके बादल उत्तर की ओर बढ़ने लगेंगे — और उसका असर देश के बीचोंबीच तक फैल जाएगा। आईएमडी ने 29 से 31 अक्टूबर के बीच छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, झारखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार और दिल्ली-एनसीआर में गरज-चमक के साथ भारी बारिश की चेतावनी जारी की है।

महाराष्ट्र के विदर्भ में भी बारिश का खतरा

यहां तक कि महाराष्ट्र के विदर्भ क्षेत्र में भी चक्रवात का छाया प्रभाव दिख रहा है। चंद्रपुर, गढ़चिरौली, वर्धा और नागपुर में 28 से 30 अक्टूबर के बीच मध्यम से भारी बारिश की उम्मीद है। आईएमडी ने इन जिलों में ‘येलो’ अलर्ट जारी किया है — जिसका मतलब है कि बारिश के साथ 40-50 किमी/घंटा की तेज हवाएं भी चल सकती हैं। कुछ जगहों पर बिजली चमकने की संभावना भी है।

ओडिशा के गंजम जिले में तो ‘रेड’ अलर्ट जारी किया गया है — जो इस तरह के चक्रवातों में सबसे उच्च स्तर की चेतावनी है। 27 से 29 अक्टूबर के बीच यहां बहुत भारी बारिश हो सकती है। यही नहीं, मध्य प्रदेश के 30 से अधिक जिलों में अलर्ट जारी है — जिसमें इंदौर, जबलपुर, शहडोल और उज्जैन जैसे बड़े शहर शामिल हैं।

सरकारी तैयारी: खाद्यान्न, राहत और आपातकाल

सरकारी तैयारी: खाद्यान्न, राहत और आपातकाल

आंध्र प्रदेश सरकार ने अपनी तैयारी को अपने लिए अपना लिया है। 26 अक्टूबर तक सभी सरकारी दुकानों में खाद्यान्न की आपूर्ति पूरी कर ली गई है। मंडल स्तर पर ईंधन, दवाएं, पानी और बिजली के बैकअप जनरेटर्स का स्टॉक तैयार है। राहत शिविरों की स्थापना के लिए स्कूलों और सार्वजनिक भवनों को तैयार किया जा रहा है।

मनोरमा मोहंती, भुवनेश्वर मौसम विज्ञान केंद्र की निदेशक, ने कहा: “हमने इस चक्रवात को पहले से ही ट्रैक किया है। अब जो भी तूफान आएगा, उसका समय और तीव्रता हमारे मॉडल्स के अनुसार ही आएगा। लेकिन अगर लोग चेतावनियों को नजरअंदाज करेंगे, तो नुकसान बहुत बड़ा हो सकता है।”

अनुभवी जलवायु विशेषज्ञ डॉ. राजीव शर्मा (प्रायोगिक जलवायु अध्ययन केंद्र, नई दिल्ली) का कहना है: “मोंथा सिर्फ एक तूफान नहीं, यह एक जलवायु लहर है। पिछले 10 सालों में बंगाल की खाड़ी में ऐसे तेज चक्रवातों की आवृत्ति 30% बढ़ गई है। यह सिर्फ बारिश नहीं, यह जलवायु आपातकाल का संकेत है।”

अगले 72 घंटे: क्या होगा?

अगले 72 घंटे भारत के लिए फैसले के घंटे होंगे। आंध्र प्रदेश और ओडिशा में तटीय गांवों को खाली कराया जा रहा है। नौकाएं तट पर खींच ली गई हैं। रेल और हवाई सेवाएं रद्द की जा रही हैं।

मध्य भारत के लिए बारिश का मतलब है — नदियों का बढ़ना, बाढ़ का खतरा, और शहरी बुनियादी ढांचे पर दबाव। दिल्ली में जो लोग बारिश को सिर्फ ठंडक का साधन समझते हैं, उन्हें याद रखना चाहिए: यह बारिश नहीं, यह जलवायु का विरोध है।

क्या आगे होगा?

क्या आगे होगा?

अगर मोंथा ने तट को बरकरार रखा, तो अगले 5-7 दिनों में उत्तरी भारत में तापमान में 5-7 डिग्री की गिरावट आ सकती है। लेकिन इसका सबसे बड़ा असर खेतों पर होगा — जहां अभी गेहूं की फसल लगाई जा रही है। अचानक बारिश और तेज हवाएं इसे नुकसान पहुंचा सकती हैं।

इस चक्रवात के बाद, आईएमडी के वैज्ञानिक अगले साल के मौसम के लिए एक नया मॉडल तैयार करने वाले हैं। लेकिन अभी का सवाल यह है: क्या हम इस बार तैयार हैं?

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

चक्रवात मोंथा किस तरह आंध्र प्रदेश को प्रभावित करेगा?

मोंथा 28 अक्टूबर की शाम को काकीनाडा के पास मछलीपट्टनम और कालिंगपट्टनम के बीच तट से टकराएगा। यहां हवाएं 100-110 किमी/घंटा तक पहुंच सकती हैं, जिससे छतें उड़ सकती हैं, बिजली के खंभे गिर सकते हैं, और तटीय गांवों में पानी भर सकता है। ईस्ट और वेस्ट गोदावरी, एलुरु जैसे जिलों में भारी बारिश और बाढ़ का खतरा है।

महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में बारिश क्यों हो रही है?

मोंथा के बादल तट से टकराने के बाद उत्तर की ओर बढ़ रहे हैं। ये बादल महाराष्ट्र के विदर्भ और मध्य प्रदेश के दक्षिणी जिलों में जमा हो रहे हैं। आईएमडी के मॉडल्स के अनुसार, यह चक्रवाती प्रणाली उत्तरी भारत की ओर बढ़ते हुए गरज-चमक के साथ बारिश लाएगी, खासकर 29-31 अक्टूबर के बीच।

क्या दिल्ली-एनसीआर को भी अलर्ट की जरूरत है?

हां। दिल्ली-एनसीआर को 30-31 अक्टूबर के बीच गरज-चमक के साथ मध्यम से भारी बारिश की चेतावनी जारी की गई है। यह बारिश शहरी बाढ़, ट्रैफिक अवरोध और बिजली की आपूर्ति में बाधा पैदा कर सकती है। लोगों को घरों में बारिश के पानी के लिए तैयार रहना चाहिए।

क्या ओडिशा में रेड अलर्ट का मतलब क्या है?

रेड अलर्ट का मतलब है — जीवन के लिए खतरा। ओडिशा के गंजम जिले में 27-29 अक्टूबर के बीच बहुत भारी बारिश (200 मिमी से अधिक) और 100 किमी/घंटा से अधिक तेज हवाएं आ सकती हैं। यहां सभी लोगों को तटीय क्षेत्रों से निकलकर राहत शिविरों में जाने का निर्देश दिया गया है।

चक्रवात के बाद खेती पर क्या असर होगा?

अगर बारिश अचानक और तेज हुई, तो उत्तरी भारत में गेहूं की फसल को नुकसान हो सकता है। आंध्र प्रदेश और ओडिशा में आमतौर पर बादाम और चीनी की फसलें होती हैं, जो तूफान से बर्बाद हो सकती हैं। खेती के लिए यह एक बड़ा झटका होगा, खासकर छोटे किसानों के लिए।

क्या ऐसा चक्रवात अब अक्सर हो रहा है?

हां। पिछले 10 सालों में बंगाल की खाड़ी में तेज चक्रवातों की संख्या 30% बढ़ गई है। जलवायु परिवर्तन के कारण समुद्र का तापमान बढ़ रहा है, जिससे चक्रवात अधिक शक्तिशाली और अधिक अप्रत्याशित बन रहे हैं। मोंथा इसी नए वास्तविकता का एक और उदाहरण है।

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