मदीना के पास बस दुर्घटना: 45 भारतीय उम्रा श्रद्धालुओं की मौत, एक बच गया

नवंबर 17, 2025 की सुबह एक बर्फीली रात को, मदीना से 160 किमी दूर मुहरास के पास एक बस और तेल के टैंकर के बीच भयानक टक्कर हुई, जिसमें 45 भारतीय उम्रा श्रद्धालु मारे गए और एक युवक बच गया। यह दुर्घटना उसी रास्ते पर हुई, जहां हर साल लाखों मुसलमान मक्का से मदीना की यात्रा करते हैं। बस पूरी तरह जलकर राख हो गई — शवों को पहचानना लगभग असंभव हो गया। बचे हुए युवक मोहम्मद अब्दुल शोइब, 24, हैदराबाद के तेलंगाना के निवासी, अभी अस्पताल में भर्ती है। इस दुर्घटना ने भारत के एक छोटे से मोहल्ले को एक निर्मम त्रासदी में बदल दिया — एक परिवार ने अकेले 18 परिजनों को खो दिया।

कैसे हुई यह त्रासदी?

यह बस 9 नवंबर को हैदराबाद से निकली थी। 54 श्रद्धालु जैदाह पहुंचे, जहां से उम्रा के बाद मदीना की यात्रा शुरू हुई। चार लोग अलग कार से चले गए, चार मक्का में रुक गए — बस में 46 लोग थे। रात के 1:30 बजे (भारतीय समय), जब ज्यादातर यात्री गहरी नींद में थे, बस एक डीजल टैंकर से टकरा गई। टक्कर के बाद आग लग गई। कोई बचने का रास्ता नहीं था। बस पूरी तरह जलकर राख हो गई। बचे हुए शवों को पहचानने के लिए DNA टेस्ट करना पड़ेगा।

हैदराबाद का एक मोहल्ला, एक अनंत शोक

मल्लेपल्ली के बाजार घाट के कम से कम 16 लोग मारे गए — उनमें रहीमुन्निसा, रहमत बी, शहनाज बेगम, गौसिया बेगम, कादिर मोहम्मद, मोहम्मद मौलाना और बाकी नाम जो अभी तक परिवारों ने नहीं बताए। एक परिवार के 18 सदस्य एक साथ गए। यह अभी तक की सबसे बड़ी एकल परिवार त्रासदी है। एक अंकल की बेटी, उसकी बहन, उनके बच्चे, उनके भाई — सब एक ही बस में थे। अब उनके घरों में सिर्फ खालीपन है।

भारत सरकार की प्रतिक्रिया

अजहरुद्दीन, भारतीय सरकार के एक अधिकारी, ने कहा: "यह बहुत दुखद है। शव इतने जल गए कि पहचानना लगभग असंभव हो गया। हमने एक हेल्पलाइन शुरू की है।" वह अभी भी इस मामले पर निगरानी कर रहे हैं। सरकार दो विकल्प पर काम कर रही है — या तो हर शहीद के एक परिवार के सदस्य को सऊदी भेजा जाएगा, ताकि वे शव पहचान सकें, या फिर शवों को भारत लाया जाए। अभी तक कोई समयसीमा नहीं बताई गई।

परिवारों का दर्द, बिना शवों के अंतिम संस्कार

हैदराबाद के एक घर में, एक माँ अभी तक अपनी बेटी के शव के बारे में नहीं जानती। वह बस एक फोटो देखती है — जिसमें बेटी उम्रा के लिए नए कपड़े पहने हुए है। उसके पास अभी तक उसकी चादर नहीं, उसकी अंतिम चादर नहीं। इसलिए वह रोती है — न केवल उसके लिए, बल्कि उसके अंतिम संस्कार के लिए भी। यही दर्द दर्जनों घरों में है। अधिकारियों का कहना है कि DNA टेस्ट में 7-10 दिन लग सकते हैं। लेकिन परिवारों के लिए यह दिन लगभग अनंत हैं।

मुहरास का रास्ता: एक जानलेवा गलियारा

मुहरास का रास्ता: एक जानलेवा गलियारा

मुहरास (या मुफ्रिहात) का यह रास्ता, मक्का-मदीना हाईवे पर, दुर्घटनाओं के लिए जाना जाता है। यहां रात में ट्रकों की गति बहुत ज्यादा होती है। बसों के लिए अक्सर रात का समय ही सुरक्षित माना जाता है — लेकिन यही रात आज एक शहीद की यात्रा बन गई। कोई जानकारी नहीं है कि बस किस कंपनी की थी, टैंकर किसका था, या सऊदी अधिकारियों ने क्या जांच शुरू की है।

उम्रा के बाद का रास्ता: जिंदगी का आखिरी सफर

उम्रा के लिए जाने वाले श्रद्धालु अक्सर अपने घर से निकलते हैं जैसे कि वे एक यात्रा पर जा रहे हों। लेकिन इस बार, वह यात्रा अंतिम हो गई। कुछ लोग जानते हैं कि उम्रा के बाद मदीना जाना एक धार्मिक आदत है — लेकिन कोई नहीं जानता था कि यह सफर इतना खतरनाक हो सकता है। यह दुर्घटना उस बात को भी दर्शाती है कि भारतीय श्रद्धालुओं के लिए विदेशी यात्रा में सुरक्षा कितनी कमजोर है।

अगले कदम: क्या होगा अब?

भारतीय दूतावास और सऊदी अधिकारियों के बीच समन्वय जारी है। अगले कुछ दिनों में शवों का निकास शुरू होगा। या तो शव भारत लाए जाएंगे, या फिर परिवारों को वहां भेजा जाएगा। लेकिन यह सवाल अभी भी बाकी है — क्या सऊदी अधिकारी इस दुर्घटना की जांच करेंगे? क्या बस कंपनी को जिम्मेदार ठहराया जाएगा? यह जांच अभी तक शुरू नहीं हुई।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

इस दुर्घटना में कौन-कौन मारे गए?

45 भारतीय श्रद्धालु मारे गए, जिनमें से कम से कम 16 हैदराबाद के मल्लेपल्ली के बाजार घाट के निवासी थे। इनमें रहीमुन्निसा, रहमत बी, शहनाज बेगम, गौसिया बेगम, कादिर मोहम्मद और अन्य शामिल हैं। एक परिवार ने अकेले 18 सदस्यों को खो दिया।

बचे हुए युवक की हालत क्या है?

24 साल के मोहम्मद अब्दुल शोइब को बचाया गया। वह अभी अस्पताल में है, लेकिन उसकी स्वास्थ्य स्थिति के बारे में अभी तक कोई आधिकारिक जानकारी नहीं दी गई है। वह एकमात्र व्यक्ति है जिसने इस दुर्घटना से जीवित बचने का चमत्कार किया।

शवों की पहचान कैसे होगी?

बस पूरी तरह जल गई, इसलिए शव इतने जल गए कि दृश्य रूप से पहचानना असंभव है। अब भारत और सऊदी अधिकारी मिलकर DNA टेस्ट के जरिए पहचान करेंगे। इस प्रक्रिया में 7-10 दिन लग सकते हैं।

भारत सरकार क्या कर रही है?

भारतीय सरकार ने एक हेल्पलाइन शुरू की है और परिवारों के लिए दो विकल्प पर काम कर रही है: या तो एक परिवार का सदस्य सऊदी भेजा जाएगा, या फिर शवों को भारत लाया जाएगा। अभी तक कोई समयसीमा नहीं बताई गई है।

इस दुर्घटना के पीछे क्या कारण हो सकता है?

अभी तक कोई आधिकारिक कारण नहीं बताया गया है। लेकिन मुहरास का यह रास्ता रात में ट्रकों की तेज गति के लिए जाना जाता है। बस की कंपनी, टैंकर का मालिक, या ड्राइवर की गलती के बारे में कोई जानकारी नहीं है।

इस तरह की दुर्घटनाएं पहले कभी हुई थीं?

हां, पिछले वर्षों में कई बार उम्रा श्रद्धालुओं की बसों में दुर्घटनाएं हुई हैं, लेकिन इतनी बड़ी और इतने अधिक शहीदों के साथ यह पहली बार है। पिछले 10 सालों में सऊदी अरब में भारतीय श्रद्धालुओं की 15 से अधिक दुर्घटनाएं हुई हैं, लेकिन इस बार शहीदों की संख्या अभूतपूर्व है।