तीन मैच, तीन जीत, 100%—नई साइकिल की शुरुआत में ऑस्ट्रेलिया ने वही किया जिसकी उससे उम्मीद रहती है। 17 जून 2025 से शुरू हुए आईसीसी वर्ल्ड टेस्ट चैम्पियनशिप के चौथे संस्करण में शुरुआती हफ्तों में ही अंकतालिका में हलचल दिख रही है। रिपोर्ट: अभिज्ञ
अंकतालिका का हाल
WTC 2025-27 अंकतालिका में फिलहाल सबसे साफ तस्वीर ऑस्ट्रेलिया की है—तीन मैच, तीन जीत, 36 अंक और PCT 100। यह परफेक्ट शुरुआत बाकी टीमों पर मनोवैज्ञानिक बढ़त बना देती है, क्योंकि पॉइंट्स परसेंटेज (PCT) ही अंत में फाइनल के टिकट तय करता है।
श्रीलंका दूसरे स्थान पर है। दो मैचों से एक जीत और एक ड्रॉ ने उन्हें 16 अंक और 66.67% PCT दिया है। शुरुआती चरण में यह ठोस शुरुआत मानी जाएगी, खासकर इसलिए क्योंकि WTC में ड्रॉ भी मायने रखता है—चार अंक मिलते हैं और PCT संभला रहता है।
सबसे ज्यादा चर्चा इंग्लैंड बनाम भारत टेस्ट सीरीज़ की हो रही है। अपडेटेड स्टैंडिंग्स में इंग्लैंड तीसरे नंबर पर दिख रहा है, लेकिन एक पेच है—कुछ जगह 4 मैचों से 26 अंक और 54.17% PCT दर्ज है, तो कहीं 5 मैचों से 26 अंक दिखाए गए हैं। यह अंतर अक्सर लाइव ब्रॉडकास्ट ग्राफिक्स, देर से लागू होने वाली ओवर-रेट पेनल्टी, या मैच काउंट के सिंक न होने की वजह से आता है। PCT का फॉर्मूला सरल है: अर्जित अंक/कुल उपलब्ध अंक। यानी मैचों की गिनती कैसे भी गिनी जाए, जैसे ही आधिकारिक अंक और दंड अपडेट होते हैं, PCT अपने-आप सही जगह पहुंच जाता है।
भारत की तस्वीर मिश्रित है। अलग-अलग सोर्स 16 से 28 अंकों तक का आंकड़ा दिखा रहे हैं और PCT 33.33% से 46.67% के बीच झूलता दिख रहा है। बर्मिंघम के एजबेस्टन में दूसरा टेस्ट 336 रनों से जीतना भारत के लिए मोमेंटम-बिल्डर साबित हुआ—ऐसी जीत PCT पर दोहरी तरह से असर करती है: 12 अंक मिलते हैं और नेट रन-रेट जैसा कोई फैक्टर न होने के कारण जीत का मार्जिन मनोबल पर असर डालता है।
बांग्लादेश ने शुरुआती सीरीज़ में श्रीलंका से भिड़कर एक ड्रॉ और एक हार से 4 अंक जोड़े हैं—PCT 16.67। यह कम दिखता है, लेकिन लंबी साइकिल में शुरुआती ड्रॉ बाद में बड़ा फर्क ला सकते हैं, खासकर अगर आगे घरेलू सीरीज़ में जीतें जुड़ें।
वेस्ट इंडीज के लिए शुरुआत कठिन रही—तीन में तीन हार, 0 अंक। ऐसे शुरुआती घाटे को भरना मुश्किल होता है, क्योंकि PCT कॉम्पिटिटिव बनाने के लिए अब उन्हें लगातार जीतों की जरूरत पड़ेगी।
न्यूजीलैंड, पाकिस्तान और दक्षिण अफ्रीका ने अभी इस चक्र में मैच नहीं खेले हैं। इसका मतलब साफ है—एक अच्छी शुरुआती सीरीज़ उन्हें सीधे ऊपर ले जा सकती है। WTC का डिजाइन यही है कि कम मैच खेलने वाली टीमों को PCT के जरिए तुरंत दौड़ में आने का मौका मिले।
पॉइंट्स सिस्टम वही है जो पिछले संस्करण में था—जीत पर 12, टाई पर 6, ड्रॉ पर 4, और हार पर 0। धीमी ओवर-गति पर प्रति ओवर 1 अंक तक की कटौती लागू हो सकती है, जो सीधे PCT पर चोट करती है। इसलिए कभी-कभी मैच खत्म होने के बाद भी तालिका में छोटा-सा उतार-चढ़ाव दिख जाता है।
- ऑस्ट्रेलिया: 3 मैच, 3 जीत, 36 अंक, PCT 100
- श्रीलंका: 2 मैच, 1 जीत, 1 ड्रॉ, 16 अंक, PCT 66.67
- इंग्लैंड: 26 अंक दर्ज; मैच काउंट 4 या 5 के रूप में रिपोर्ट हुआ, PCT ~54.17
- भारत: 16–28 अंक की रेंज रिपोर्ट, PCT ~33.33–46.67
- बांग्लादेश: 2 मैच, 1 ड्रॉ, 1 हार, 4 अंक, PCT 16.67
- वेस्ट इंडीज: 3 मैच, 3 हार, 0 अंक
- न्यूजीलैंड/पाकिस्तान/द. अफ्रीका: अभी तक मैच नहीं
फॉर्मेट में कुल 27 सीरीज़ और 71 टेस्ट होंगे। हर टीम 6 सीरीज़ खेलेगी—3 घर में और 3 बाहर। कहीं 2 टेस्ट की सीरीज़ होगी, तो कहीं 5; यही वजह है कि रॉ पॉइंट्स की बजाय PCT को तवज्जो दी जाती है।

इंग्लैंड-भारत सीरीज़ का असर और आगे की तस्वीर
इंग्लैंड-भारत टकराव ने इस चक्र को जल्दी गरम कर दिया है। एजबेस्टन में 336 रनों की जीत जैसे परिणाम PCT को उछाल देते हैं। इस तरह की जीत सीरीज़ की नैरेटिव भी बदल देती है—बेंच स्ट्रेंथ का कॉन्फिडेंस बढ़ता है, और स्पिन-सीम बैलेंस पर टीम की सोच और स्पष्ट होती है।
अब असल खेल समझिए—पॉइंट्स परसेंटेज। अगर कोई टीम 2 मैच की सीरीज़ 2-0 से जीतती है, तो उसका PCT 100 होगा; वहीं 5 मैच में 3-2 से जीतने पर PCT 60 रहता है। यानी छोटी सीरीज़ में एक भी ड्रॉ या हार PCT पर बड़ा डेंट डालती है, जबकि लंबी सीरीज़ में रिकवरी का स्पेस होता है।
भारत के संदर्भ में सीधे-सादे समीकरण ऐसे हैं—अगले कुछ मैचों में लगातार जीत मिलती है तो PCT तेज़ी से ऊपर जाएगा, क्योंकि शुरुआती बेस छोटा है। इंग्लैंड के लिए भी यही लागू होता है, लेकिन अगर ओवर-रेट पेनल्टी लगती है, तो 1-2 अंक की कटौती भी PCT को नीचे धकेल सकती है।
ऑस्ट्रेलिया की परफेक्ट शुरुआत शानदार है, पर आगे उनके पास सख्त विदेशी दौर भी आएंगे। WTC में असली परीक्षा बाहर जीतना है। 2021-23 चक्र में यही फैक्टर फाइनलिस्ट तय करने में निर्णायक रहा था—जो टीमें घर से बाहर सीरीज़ निकाल ले गईं, वे ऊपर रहीं।
श्रीलंका की शुरुआती पॉजिशनिंग इशारा करती है कि उन्होंने शुरुआती गलतियों से बचाव किया है—ड्रॉ सुरक्षित करना, सेशन-दर-सेशन खेल जीतना, और टेलेंड से रन निकालना। अगर वे घर में स्पिन-फ्रेंडली कंडीशंस का स्मार्ट इस्तेमाल जारी रखते हैं, तो PCT लंबे समय तक 50-60 के ब्रैकेट में टिका रह सकता है।
बांग्लादेश के लिए रोडमैप साफ है—ड्रॉ को हार में बदलने से बचाना और पहले तीन दिन रन-एक्रूअल पर जोर। टेस्ट में 350+ की पहली पारी का औसत PCT में ड्रॉ और जीतों का अनुपात सुधारता है। एक-दो अपसेट अवे-गेम में उन्हें जल्दी मध्य तालिका में ला सकते हैं।
वेस्ट इंडीज को अब ‘लगातार जीत’ मोड में जाना होगा। नई गेंद से स्ट्राइक, स्लिप-कॉर्डन में कैचिंग और चौथे-पांचवें दिन स्पिन से नियंत्रण—ये तीन चीजें उनकी वापसी की कुंजी हैं। 0 अंक के बाद हर जीत 12 अंक जोड़ती है, पर असली फर्क PCT की ट्राजेक्टरी में दिखता है—लगातार दो जीतें टीम को सीधे मिड-टेबल में ला देती हैं।
डेटा में जो विसंगतियां दिखीं—जैसे इंग्लैंड के 4 बनाम 5 मैच—ये अक्सर रियल-टाइम सिंक, मैन्युअल एंट्री, या पेनल्टी अपडेट में देरी के कारण दिखती हैं। फॉलोअर्स के लिए सुरक्षित तरीका यही है: PCT पर ध्यान दें, क्योंकि वही फाइनल के दो टिकट तय करेगा।
याद रखिए, हर टीम 6 सीरीज़ खेलने वाली है—3 घर, 3 बाहर। 2 से 5 टेस्ट की रेंज का मतलब यह हुआ कि एक खराब सेशन कभी-कभी पूरी सीरीज़ का मिजाज बदल देता है। इसी वजह से शुरुआती हफ्तों में ऑस्ट्रेलिया का 100% PCT बाकी टीमों के लिए प्रेशर-कुकर जैसा माहौल बना देता है—पर लंबी रेस में एक सही समय पर मिली अवे-सीरीज़ जीत इस दबाव को उलट देती है।
फाइनल जून 2027 में लॉर्ड्स में तय है। रास्ता लंबा है, और यही टेस्ट क्रिकेट की खूबसूरती है—शतरंज जैसा धैर्य, छोटे-छोटे फैसलों का बड़ा असर, और तालिका में हर सप्ताह नई चाल। शुरुआती लीड भले ऑस्ट्रेलिया के पास हो, पर दरवाजा किसी के लिए बंद नहीं है।