जब India Meteorological Department (IMD) ने 2 अक्टूबर 2025 को अपना विस्तृत मौसम अपडेट जारी किया, तो देश भर में मौसम‑के‑पैटर्न में एक बड़ा बदलाव स्पष्ट हो गया। इस रिपोर्ट में बताया गया कि दक्षिण‑पश्चिमी मोनसन ने राजस्थान, गुजरात और पूरी पश्चिमी हिमालयी क्षेत्र से पीछे हटना शुरू कर दिया, जबकि छत्तीसगढ़ के दक्षिणी हिस्सों, ओडिशा और उत्तर‑कोस्टर्ड अंड्र प्रदेश में अत्यधिक वर्षा की चेतावनी जारी की गई। यह सूचना न केवल किसानों के लिए, बल्कि यात्रा‑प्लान बनाने वाले आम नागरिकों के लिए भी बहुत अहम है।
अधिकांश रिपोर्ट के अनुसार, मोनसन का आधिकारिक निकास रेखा 26 सितंबर को 20°N/69°E (वेरावल) से 30°N/81°E (जाहांसी) तक खींची गई। इस रेखा के नीचे के क्षेत्रों को अब "मॉनसन‑निकासी क्षेत्र" माना गया, जबकि ऊपर के हिस्सों में अभी भी अधिशेष वर्षा की संभावना बनी हुई है।
मॉनसन निकासी का इतिहास और मौसमी आंकड़े
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के डेटा के अनुसार 2025 के दक्षिण‑पश्चिमी मोनसन ने जून‑से‑सितंबर तक देश का औसत 108 % बरसात दर्ज किया। यानी देश भर में 12 % अधिक बिजली‑बादल‑बारिश हुई, जो दीर्घकालिक औसत से काफी ऊपर है। यह आंकड़ा पूर्व‑वर्षों की तुलना में उल्लेखनीय रूप से बढ़ा, खासकर मध्य और उत्तर‑पूर्वी राज्यों में।
जून 2025 में जब मोनसन ने छत्तीसगढ़ के भागों में प्रवेश किया, तब कई सूखे‑पीड़ित क्षेत्रों को राहत मिल रही थी। लेकिन 20 जून तक देश के औसत वर्षा 77 mm रही, जबकि सामान्य रूप से 92.8 mm अपेक्षित थी – यानी 15 % की कमी। इस अंतर को विभाग ने "पहले‑पैमाने की कमी" के रूप में वर्गीकृत किया।
गहरी धूसरावस्था की भूमिका और अनुमानित बारिश
IMD ने दो‑सप्ताह के विस्तारित पूर्वानुमान में बताया कि बाय ऑफ बंगाल में गहरी धूसरावस्था (Deep Depression) 2 अक्टूबर को दक्षिणी छत्तीसगढ़, ओडिशा और उत्तर‑कोस्टर्ड अंड्र प्रदेश में भारी‑से‑बहुत‑भारी बारिश लाएगी। इसका प्रभाव 3‑4 अक्टूबर तक बिहार में भी महसूस किया जाएगा। विभाग ने कहा, "स्थानीय स्तर पर अत्यधिक विस्फोटक वर्षा के अवसर पैदा हो सकते हैं, विशेषकर पहाड़ी क्षेत्रों में।"
वर्षा की तीव्रता के हिसाब से IMD ने चार स्तर निर्धारित किए: हल्की, मध्यम, भारी और अत्यधिक भारी। 2 अक्टूबर को छत्तीसगढ़ के दक्षिणी हिस्सों में "अत्यधिक भारी" (अधिकतम 150 mm/दिवस) बारिश की संभावना बताई गई। यह आंकड़ा पहले‑पैदा‑सेंसर डेटा से पुष्टि हुआ, जहाँ रात्रि‑समय में 2200 से 2400 IST तक आँधियों की लय तेज़ थी।
स्थानीय विशेषज्ञों की बात और प्रतिक्रिया
मौसम विशेषज्ञ चन्द्र ने कहा, "छत्तीसगढ़ में इस समय गरज‑बिजली के साथ तेज़ हवाओं का खतरा बढ़ गया है, खासकर बस्तर और धमतर क्षेत्रों में।" उन्होंने जोड़ते हुए बताया कि पूर्व‑मौसम में भी लाइट‑टू‑मॉडरेट बारिश हुई, लेकिन अब गहरी धूसरावस्था के कारण स्थानीय जल‑संचयन में तेज़ वृद्धि होगी।
राज्य सरकार ने पहले ही चेतावनी विभाग को अलर्ट दे दिया है; डेस्ट्रक्शन‑मैनेजमेंट‑ऑफ़िस (DMO) ने अवसंरचनात्मक क्षति को रोकने हेतु जल‑नियंत्रण के उपायों को तेज़ किया है।

पड़ोसी क्षेत्रों पर संभावित प्रभाव
जब मोनसन उत्तरी भागों से हट रहा है, तब ओडिशा, दक्षिण‑पश्चिम बंगाल और पश्चिमी महाराष्ट्र में भी भारी बारिश की संभावना है। जैसे ही बाय ऑफ बंगाल में धूसरावस्था पश्चिमी दिशा में गति करेगी, उष्णकटिबंधीय तूफान‑समान स्थितियों का निर्माण होगा। यह न केवल कृषि‑क्षेत्र को प्रभावित करेगा, बल्कि रूट‑हाई‑ट्रांसपोर्टेड माल‑सामान की डिलीवरी में देरी भी उत्पन्न कर सकता है।
उत्तरी राजस्थान और गुजरात में पहले से ही हल्की‑तीव्रता की बारिश रुक चुकी है, जिससे सूखे‑पीड़ित क्षेत्रों में जल‑संकट कम हो रहा है। परंतु विशेषज्ञ चेतावनी देते हैं कि यदि इस मोनसन निकासी की प्रवृत्ति आगे बढ़ी, तो उत्तरी भारत में अगले महीनों में जल‑संकट का जोखिम फिर से बढ़ सकता है।
भविष्य की दिशा‑निर्देश और अगले कदम
IMD ने अगले दो हफ्तों के लिए "सावधानीपूर्ण दृष्टिकोण" अपनाने की सलाह दी है। विशेषकर निचली-भूप्रदेशीय क्षेत्रों में त्वरित निकासी, जल‑संकट‑प्रबंधन योजनाओं को सक्रिय करना और किसान‑समूहों को जल‑संचयन‑तकनीकों के बारे में जागरूक करना आवश्यक है।
अंत में, विभाग ने कहा कि 15 अक्टूबर तक मौसमी स्थिति में परिवर्तन संभव है, इसलिए समय‑समय पर अपडेट लेन‑देन करना आवश्यक रहेगा।

मुख्य तथ्य
- भारी बारिश की चेतावनी 2 अक्टूबर को दक्षिणी छत्तीसगढ़, ओडिशा और उत्तर‑कोस्टर्ड अंड्र प्रदेश में जारी।
- IMD ने मोनसन निकासी रेखा 26 सितंबर को 20°N/69°E से 30°N/81°E तक घोषित की।
- 2025 की मोनसन अवधि में राष्ट्रीय औसत वर्षा 108 % दर्ज की गई।
- बाय ऑफ बंगाल में गहरी धूसरावस्था से अगले दो हफ्तों में अत्यधिक वर्षा की संभावना।
- राज्य स्तर पर जल‑नियंत्रण और आपातकालीन निकासी योजनाओं को सक्रिय किया गया।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
छत्तीसगढ़ में भारी बारिश का मुख्य कारण क्या है?
IMD ने बताया कि बाय ऑफ बंगाल में गहरी धूसरावस्था (Deep Depression) के कारण दक्षिणी छत्तीसगढ़ में भारी‑से‑बहुत‑भारी वर्षा होगी। यह प्रणाली निचले‑दाब वाले क्षेत्रों को आकर्षित करती है, जिससे सतत वर्षा होती है।
मॉनसन निकासी का किसानों पर क्या असर पड़ेगा?
नॉर्थ‑वेस्टर्न क्षेत्रों जैसे राजस्थान और गुजरात में मोनसन हटने से जल‑संकट का जोखिम बढ़ेगा, जबकि छत्तीसगढ़ और ओडिशा में अतिरिक्त वर्षा फसल‑उपज को बढ़ा सकती है। किसान को समय‑समय पर स्थानीय मौसम अलर्ट पर ध्यान देना चाहिए।
क्या अगले दो हफ़्तों में बाढ़ की संभावना है?
छत्तीसगढ़ के निचले क्षेत्रों, विशेषकर बस्तर और दंतेवाड़ा में अत्यधिक भारी बारिश के कारण बाढ़ की आशंका है। स्थानीय प्राधिकरण पहले से ही निकासी योजना तैयार कर रहे हैं।
भविष्य में मोनसन का रुझान कैसे रहेगा?
IMD ने कहा कि 15 अक्टूबर तक मोनसन के प्रभाव में परिवर्तन संभव है। यदि गहरी धूसरावस्था देर तक बनी रही, तो उत्तर‑पूर्वी भारत में देर‑से‑आएँ बारिश जारी रह सकती है, जबकि उत्तर‑पश्चिम में निकासी जारी रहेगा।
सड़क यात्रियों को क्या सावधानी बरतनी चाहिए?
भारी बारिश के दौरान जल‑जमाव, भूस्खलन और धुंध की संभावना बढ़ती है। इसलिए वाहन चालकों को धीमी गति, तेज़ बायपास और स्थानीय प्रशासन के अलर्ट पर बारीकी से नजर रखनी चाहिए।