अगर आप उन शायरों की तलाश में हैं जिनकी बात सुनते ही दिल की धड़कन तेज हो जाती है, तो मोहसिन नकवी सही नाम है। उनका नाम सुनते ही याद आ जाता है वो लफ़्ज़ जो ग़म, मोहब्बत, उम्मीद और क्रोध को एक ही पंक्ति में जमा देते हैं। इस पेज पर हम उनके जीवन, रचनाओं और क्यों वह आज भी लोग पढ़ते हैं, इस पर बात करेंगे। पढ़ते रहिए, आप पाएँगे कई ऐसी झलकें जो आपके दिल को हिलाएँगी।
मोहसिन नकवी का जन्म 1923 में इराक के बगदाद में हुआ था। उन्होंने बचपन से ही क़लम थामा और बचपन के खेल‑खिलौने की जगह किताबों में डुबकी लगाते रहे। कॉलेज में इतिहास पढ़ते‑पढ़ते उन्होंने उर्दू शायरी से मोहब्बत कर ली। 1970 के दशक में उनका नाम पूरे उप‑महाद्वीप में गूंज उठा, जब उनके ग़ज़ल और फ़रहाद के शब्दों ने लोगों के दिलों में जगह बना ली। उनका अंदाज़ सरल था, फिर भी गहरा—जैसे कोई दोस्त आपसे आँखों में आँसू लेकर बात करे।
उनकी सबसे मशहूर ग़ज़ल “मुझे मरने दो” है, जो आज भी शादी, विदाई या ग़म के मोमेंट में सुनाई जाती है। "क़ाबिल‑ए‑इंतज़ार" और "जुदा‑ज़ुदा" जैसी कविताएँ उनके दर्द और आशा दोनों को एक साथ पेश करती हैं। उनके फ़रहाद‑शैली के क़ाफ़िए में अक्सर इज़राइल‑इज़राइल की तरह शब्द दोहरते हैं, जिससे पढ़ने वाले को आवाज़ में लय सुनाई देती है। आप चाहें तो “बेटा न ले, माँगो ना कोई” जैसी फ़्रेज़ को गाने जैसा पढ़ सकते हैं—इसी में उनका जादू है।
क्यों पढ़ें मोहसिन की शायरी? पहला, उनके शब्दों में सच्चाई का रंग है—कोई घिसा‑पिटा नहीं। दूसरा, उनकी ग़ज़लें जीवन की उन छोटी‑छोटी उलझनों को बड़े साफ़ शब्दों में समझाती हैं। तीसरा, जब आप उनके फ़रहाद‑शैली को पढ़ते हैं तो मन में एक तरह का समायोजन हो जाता है—जैसे बारिश के बाद हवा में ताज़गी। इन कारणों से उनकी रचनाएँ आज के युवा से लेकर बुजुर्ग तक सबको आकर्षित करती हैं।
अगर आप नई शायरियों की खोज में हैं, तो मोहसिन नकवी का कॉम्पैक्ट संग्रह एकदम बेस्ट है। इस पेज पर आप उनके कुछ सबसे लोकप्रिय लफ़्ज़ सीधे पढ़ सकते हैं, या फिर उनकी पूरी कविताओं की लिस्ट देख सकते हैं। बस थोड़ा‑सा स्क्रॉल करें, और आप देखेंगे कैसे एक शेर में कई भावनाएँ समा जाती हैं।
अंत में, मोहसिन नकवी का काम हमें यह सिखाता है कि शब्दों की ताक़त से दिल की धड़कन तेज़ की जा सकती है, आँसूं को हँसी में बदला जा सकता है, और दर्द को सुंदरता में बदल दिया जा सकता है। इसलिए अगली बार जब आप किसी कविता के पन्ने खोलें, तो याद रखें—शायद वही शायर आपका अपना दिल पढ़ रहा है।
एशिया कप 2025 फाइनल में भारत की जीत के बाद मोहसिन नकवी ने ट्रॉफी न देने पर दो घंटे हाईवोल्टेज विवाद हुआ; BCCI ने ICC में शिकायत दर्ज की।