शाहाबाद।राज्य के उप मुख्यमंत्री एवं शिक्षा मंत्री डॉ दिनेश शर्मा की शिक्षा,शिक्षक विरोधी नीतियों से आक्रोशित व्यावसायिक एवं वित्तविहीन शिक्षक 17 मार्च से प्रस्तावित मूल्यांकन कार्य का वहिष्कार करेंगे।
जिलाध्यक्ष बादाम सिंह यादव का आरोप है कि प्रदेश सरकार ने अकारण ही वित्तविहीन शिक्षकों का मानदेय बंद कर रखा है।माध्यमिक व्यावसायिक शिक्षक संगठन के प्रदेश अध्यक्ष अम्बरीष कुमार सक्सेना के मुताबिक  अंशकालीन,संविदा,अतिथि विषय विशेषज्ञों के साथ प्रदेश सरकार अन्याय कर रही है।
यू पी बोर्ड परीक्षाओं के कक्ष निरीक्षकों के पारिश्रमिक का गत कई वर्षों से भुगतान तक नहीं किया गया है।कक्ष निरीक्षक का पारिश्रमिक भी मात्र 36 रुपये है।जो कि बहुत कम है।व्यावसायिक शिक्षकों को साल मे मात्र 9 व 10 माह का मानदेय निर्गत किया जाता है।जोकि उनकी सेवाओं को दृष्टिगत रखते हुए अत्यंत कम है।जबकि सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश हैं कि समान कार्य के लिए समान वेतन दिया जाए।परंतु माध्यमिक शिक्षा मंत्री की ग़लत नीति के चलते माध्यमिक शिक्षा बदहाली के दौर से गुज़र रही है।उनका आरोप है कि प्रदेश के शासकीय व सहायता प्राप्त अशासकीय इंटर कॉलेजों में एल टी ग्रेड और प्रवक्ता के एक लाख से ज़्यादा पद रिक्त पड़े हैं परंतु प्रदेश सरकार के शिक्षा मंत्री सिर्फ बयानवीर बनकर प्रदेश की जनता को भ्रमित कर रहे हैं।गौरतलब है कि माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड में पिछले एक साल से आयोग के अध्यक्ष का मनोनयन तक राज्य सरकार नहीं कर सकी है।जिसकी बजह से माध्यमिक शिक्षा बदहाली के दौर से गुज़र रही है।वित्तविहीन शिक्षकों के नेता शिक्षक विधायक उमेश द्विवेदी ने कहा है कि न जाचेगे और न ही जाँचने देंगे।
महासभा के  पदाधिकारियो द्वारा मूल्याङ्कन बहिष्कार को सफल बनाने  हेतु और सरकार को अपना ताकत को पूरी दमदारी के साथ प्रदर्शित करते हुए ,पूरी निष्ठा और विश्वास के साथ बोर्ड परीक्षा मूल्यांकन 2018 के केंद्रों पर ताला बंदी करके न मूल्याङ्कन करना है और न ही करने देना है पूर्ण मूल्याङ्कन बहिष्कार को सफल बनाए, क्योंकि जब मानदेय नहीं तो मूल्याङ्कन नहीं।और इस कार्य के लिए  सभी शिक्षकों का समर्थन नितान्त आवश्यक है ।क्योंकि जमीनी स्तर पर प्रभाव  दिखाना है। इस लिए संगठनों के ताना बाना से निकलते हुए एक उद्देश्य एक शिक्षक के नारे के साथ ,जिला मुख्यालय पर, एकत्र होकर, बहिष्कार को सफल बना सरकार को अपने ताकत का एहसास कराये। क्योंकि भय बिन होये न प्रीत।।
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