वाराणसी [K5 News]। नेपाल में मौत होने के 55 वर्ष बाद 30 जनवरी 2002 को वाराणसी नगर निगम प्रशासन ने मृत्यु प्रमाणपत्र जारी कर खुद को कठघरे में खड़ा कर लिया है। अपने ही बनाए गए मृत्यु प्रमाणपत्र को लेकर नगर निगम असमंजस में है। उसे समझ नहीं आ रहा है कि मृत्यु की तिथि कौन सी सही है। महीनों जाच से परेशान नगर निगम के अधिकारियों ने हार मानकर पुलिस से जांच कराने का अनुरोध नगर आयुक्त डा. नितिन बंसल से किया है। मामले को गंभीरता से लेते हुए नगर आयुक्त ने एसएसपी को पत्र लिखकर पूरे मामले की जांच पुलिस व खुफिया विभाग से कराने को कहा है। इससे नगर निगम कर्मियों में हड़कंप मचा है। साम्राज्येश्वर पशुपति नाथ महादेव मंदिर तथा धर्मशाला संचालक समिति ललिता घाट के महासचिव गोपाल प्रसाद अधिकारी ने 20 जनवरी 2018 को मंडलायुक्त के यहां शिकायत कर कहा कि गजानंद सरस्वती ऊर्फ गुलाब यादव ने मृतक श्रीराम परशुराम वैद्य को अपना पिता बताते हुए फर्जी दस्तावेज के सहारे नगर निगम से 30 जनवरी 2002 में मृत्यु प्रमाणपत्र बनवा लिया था, जबकि श्रीराम परशुराम वैध का जन्म नेपाल में 25 अप्रैल 1858 में हुआ था वह 12 फरवरी 1879 को भारत आए और 19 मई 1915 को नेपाल लौट गए। उनकी मौत 27 सितंबर 1947 को नेपाल में हुई थी। मंडलायुक्त के निर्देश पर नगर आयुक्त ने नगर स्वास्थ्य अधिकारी समेत अधीनस्थों से जांच कराई जिसमें पता चला कि प्रमाणपत्र तत्कालीन वैक्सीनेटर ऋषिकांत शर्मा ने जारी किया है जो वर्तमान में भेलूपुर जोन में जन्म-मृत्यु चौकी पर तैनात हैं।
चार माह में पूरी नहीं हुई जांचः  मंडलायुक्त आयुक्त के निर्देश पर नगर आयुक्त ने नगर स्वास्थ्य अधिकारी, उप रजिस्ट्रार समेत अधिकारियों से जांच कराई। चार माह तक नगर निगम के अधिकारी जांच करते रहे लेकिन वे सच्चाई का पता नहीं लगा सके।
16 साल बाद बाहर निकलाः जिन 30 जनवरी 2002 में नगर निगम की ओर से जारी मृत्यु प्रमाणपत्र को लेकर 16 साल बाद शिकायत आई कि जारी प्रमाणपत्र फर्जी है। मामला 16 वर्ष पुराना होने तथा जांच में सफलता नहीं मिलने पर नगर निगम के अधिकारियों ने पुलिस समेत खुफिया विभाग से जांच कराने की संस्तुति की।
नेपाल से भी बनाया मृत्यु प्रमाण पत्रः  श्रीराम परशुराम वैध की मौत 27 सितंबर 1947 को हुई थी। इसका मृत्यु प्रमाणपत्र नेपाल सरकार ने भी बनाया है। एक ही व्यक्ति के दो-दो मृत्यु प्रमाणपत्र जारी होने को लेकर नगर निगम प्रशासन असमंजस में है। मामले की यदि सही तरीके से जांच हुई तो कई राज सामने आ सकते हैं
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