पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेई के निधन पर शोक व्यक्त करने वालों में उनकी कुछ पुरानी यादें भी लोगों के जहन में तरोताजा हैं ।जिन्होंने उनके साथ कुछ लम्हे बिताए   । 11 मई 1994 को अटल बिहारी वाजपेई हरदोई के सांडी में RSS  कार्यकर्ता जितेंद्र रस्तोगी की बिजली के ट्रांसफार्मर को लेकर  हुए विवाद के समय भीड़ को तितर भितर करने के लिए सांडी थानाध्यक्ष संतोष त्रिवेदी की कथित 11 मई 1994  को गोली लगने से मृत्य को पार्टी ने गंभीरता से लिया गया था। संसद में नेता विपक्ष अटल बिहारी बाजपेई 15 मई 1994 को  कार्यकर्ता की मृत्यु पर सिर्फ शोक व्यक्त करने ही नहीं बल्कि स्वयं वस्तुस्थिति जानने के लिए लखनऊ से सीधे सांडी पहुंचे थे और परिवारजनों से मिलकर जानकारी प्राप्त की थी।  सांडी में स्व जितेंद्र रस्तोगी के निवास पर एक छोटे से कमरे में उन्होंने हरदोई के चंद्र मीडिया के लोगों से बात करने की इच्छा व्यक्त की थी ।उस समय और वर्तमान आकाशवाणी संवातदाता अभय शंकर गौड़  ने उनका इस घटना को लेकर इंटरव्यू लिया था और शायद हरदोई के किसी भी पत्रकार से यह उनकी आखिरी मुलाकात थी ।अभय शंकर गौड़ उस समय हिंदी हिंदुस्तान दिल्ली के भी संवाददाता हुआ करते थे। उन्होंने अटल जी से जब इस घटना को लेकर वह किस तरीके से बात को उठाएंगे यह प्रश्न किया था तो अटल जी ने अपने उसी झटके वाले अंदाज में यह बात कही थी कि "यह कोई छोटा मामला नहीं यह कानून और व्यवस्था की बिगड़ी हालत को बयां करता है मैं इस मामले को देश की संसद में उठाऊगा और सरकार का ध्यान बिगड़ती कानून व्यवस्था पर दिलाऊंगा। यदि इस तरीके से हमारे कार्यकर्ताओं की हत्याएं की जाती रही तो यह चुप बैठ जाने की बात नही है।" उन्होंने आकाशवाणी के संवाददाता अभय शंकर गौड़ से देश के उस समय के हालात पर और कांग्रेस पार्टी की कार्यप्रणाली पर भी चर्चा की थी। अटल जी उस समय संसद में विपक्ष के नेता थे और विपक्ष के नेता होने के नाते उन्हें वीवीआईपी सुविधाएं भी प्राप्त थी लेकिन श्री गौड़ बताते हैं कि वह बहुत साधारण तरीके से सांडी के लिए लखनऊ  से सिमरा चौराहा होते हुए उस सड़क से पहुंचे थे  जो पूरी टूटी हुई थी।जिसका प्रशासन को भी विश्वास नहीं था । उन्होंने अपनी बात में श्री गौड़ से बात कही भी थी कि देश मे  विकास रुका हुआ है , जिस सड़क से मैं आया हूं उसकी हालत इतनी खराब ना होती। अटल जी अपने पार्टी के कार्यकर्ताओं के प्रति बहुत संजीदगी और संवेदनशीलता से पेश आते थे । उन्होंने  हरदोई से लगाव की बात  चर्चा में कहीं भी  कि मैं तो संडीला में बहुत दिन एक कार्यकर्ता की हैसियत से रहकर कार्य कर चुका हूं ।आज अटल बिहारी बाजपेई के न रहने पर उनके निधन पर सभी उन लोगों को दुख है जिन लोगों ने उन्होंने नजदीक से जाना और पहचाना।
  Irshad ahmad ki kalam se
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