नई दिल्ली। किसानों की आय बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार अपने ऑनलाइन प्लेटफॉर्म नेशनल एग्रीकल्चर मार्केट (ई-नाम) के विस्तार पर विचार कर रही है। इस विस्तार के बाद किसानों को सीधे गोदाम-वेयरहाउस से अपने उत्पादों को बेचने का विकल्प मिलेगा जिससे किसानों को उनकी फसलों की बेहतर कीमत मिल सकेगी।

सीधे गोदाम से बेच सकेंगे अपनी फसल

कृषि मंत्रालय के एक अधिकारी के अनुसार, इस प्लेटफॉर्म के विस्तार के बाद किसान सीधे गोदाम से अपनी फसल बेच सकेंगे और बिचौलियों की छुट्टी हो जाएगी। साथ ही यह सरकार के किसानों की आय दोगुनी करने के लक्ष्य को पाने में भी मदद करेगा। अधिकारी का कहना है कि हम जल्द ही किसानों के लिए राज्यों के अंदर और राज्यों के बाहर कृषि उत्पाद बेचने के लिए की सुविधा इस प्लेटफॉर्म पर लॉन्च करेंगे। अधिकारी का कहना है कि प्लेटफॉर्म तैयार है बस लॉन्चिंग बाकी है। अधिकारी ने बताया कि इस ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर वेयरहाउस डवलपमेंट एंड रेगुलेटरी अथॉरिटी (डब्ल्यूडीआरए) द्वारा संचालित राज्यों के स्वामित्व वाले वेयरहाउस के जरिए ट्रेडिंग की शुरुआत होगी। इससे वेयरहाउस कारोबार में भी बढ़ोतरी होगा। देश में इस समय करीब 1000 सरकारी वेयरहाउस हैं। 

गोदाम और वेयरहाउस बनेंगे बाजार

अधिकारी के अनुसार, एग्रीकल्चर प्रोड्यूस मार्केट कमेटी (एपीएमसी) एक्ट 2017 किसानों को उनकी फसल की असली कीमत दिलाने के लिए गोदाम और वेयरहाउस को बाजार के रूप में इस्तेमाल करने की इजाजत देता है। इससे बाजार किसानों के नजदीक आते हैं और उन्हें अपने उत्पादन पर क्रेडिट सुविधा भी मिलती है। अभी आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश और अरूणाचल प्रदेश जैसे राज्य इस एक्ट के तहत अपने गोदामों और वेयर हाउस को बाजार के रूप में इस्तेमाल कर किसानों को सीधे फसल की बिक्री की सुविधा उपलब्ध करा रहे हैं। अधिकारी ने कहा कि जल्द ही कई और राज्य इस प्रक्रिया को अपना सकते हैं। 
2016 में लॉन्च हुआ था ई-नाम पोर्टल
किसानों के लिए 2016 में लॉन्च हुआ ऑनलाइन पोर्ट्ल ई-नाम इस समय 150 से ज्यादा कृषि उत्पादों की ट्रेडिंग की सुविधा दे रहा है। यह ट्रेडिंग ऑनलाइन बिडिंग के माध्यम से होती है। इस पोर्ट्ल के जरिए 16 राज्यों और 2 केंद्र शासित प्रदेशों के 585 से ज्यादा थोक बाजार में ट्रेडिंग की जा सकती है। इस यूनिफाइड ऑनलाइन ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म पर देशभर के 1.64 करोड़ से ज्यादा किसान 1 लाख 20 हजार से ज्यादा व्यापारी पंजीकृत हैं। 

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