नई दिल्ली।  भारतीय वायुसेना को पहला राफेल लड़ाकू विमान निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार सितंबर में मिल जाएगा। रक्षा उत्पादन विभाग के सचिव अजय कुमार ने पीटीआई को बताया कि पहला राफेल लड़ाकू विमान भारत को सितंबर में मिल जाएगा। फ्रांसीसी कंपनी दसाल्ट एविएशन द्वारा निर्मित राफेल विमान दो इंजनों वाला बहुउद्देश्यीय लड़ाकू विमान है। हवा से हवा में और हवा से जमीन पर हमले में सक्षम यह विमान परमाणु हथियार का इस्तेमाल करने में भी सक्षम है। 

इसी महीने की शुरूआत में भारत में तैनात फ्रांस के राजदूत एलेक्जेंडर जीगलर ने कहा था कि निर्धारित समय के अनुसार ही पहले राफेल विमान की आपूर्ति दो महीनों के अंदर कर दी जाएगी। भारत ने फ्रांस के साथ कुल 36 राफेल खरीद के सौदे को मंजूरी दी है। सूत्रों की मानें तो भारतीय वायुसेना को सभी 36 राफेल विमानों की आपूर्ति अगले दो साल में कर दी जाएगी। राफेल का निर्माण फ्रांस की दसॉल्ट कर रही है। राफेल कि खासियत यह है कि अत्याधुनिक लड़ाकू विमान है जिसके रख रखाव काफी सस्ता है।

राफेल सौदे को लेकर विपक्ष ने लगाया था भ्रष्टाचार का आरोप

राफेल सौदे को लेकर भारत में काफी हंगामा हुआ था और सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे। कांग्रेस नेता और सांसद राहुल गांधी ने इस मामले को लेकर सीधे-सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर आरोप लगाया था। विपक्ष ने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा था कि सरकार ने सौदे में गड़बड़ी करते हुए घपला किया है। कांग्रेस नेताओं का कहना था कि कांग्रेस के शासनकाल में जो राफेल सौदा हुआ था उसके मुताबिक यूपीए सरकार 126 विमानों के लिए 54 हजार करोड़ रुपये चुका रही थी जबकि मोदी सरकार सिर्फ 36 विमानों के लिे 58 हजार करोड़ रुपये चुका रही है।

सरकार ने किया था इस तरह से बचाव
वहीं केंद्र सरकार ने कहा कि वह इस सौदे में पैसे बचा रही है। सरकार ने अपने फैसले का बचाव करते हुए कहा था कि कांग्रेस शासनकाल में जो सौदा हुआ था उसमे तकनीक के ट्रांसफर को लेकर कोई बात नहीं थी जबकि इस सौदे में इसे शामिल किया गया है। सरकार ने दावा करते हुए कहा था कि सरकार ने इस सौदे में 12 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा की बचत की है। 
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