और एक दिन
थक जाएंगे तमाम सवाल
खामोश हो जाएंगी
सब चींखें
निगाहें सिमट जाएंगी
अपनी ही कोटर में
साँसे मद्धम कर देंगी
अपनी रफ्तार
धड़कने बिसार देंगी
अपनी तपिश
उम्मीदें भूल जाएंगी
जागने का समय
संवेदना सो जाएगी
फिर न उठने के लिए
बुदबुदाहटें तोड़ देंगी दम
होंठो की दहलीज पर
रोशनी तलाश लेगी
अंधेरा कोई कोना
होकर शर्मिंदा
अपने उजलेपन पर
सूख जाएंगे तब
खारे समंदर
न उगेगा फिर
कोई जिंदा ख्वाब
न कस्मसायेंगे
सुर्ख गुलाब
मिट जाएगा
जेहन से हर एहसास
न जन्मेगा जब
कोई प्रतिकार
प्रतीक्षा में है
वो घड़ी
जब मौत भी सिहर जाएगी
जिंदगी के सन्नाटे से....
और मानव गिद्धों का देश
होगा समूचा संसार.... का देश' - ममता चौधरी की दिल को छू लेने वाली रचना
और एक दिन
थक जाएंगे तमाम सवाल
खामोश हो जाएंगी
सब चींखें
निगाहें सिमट जाएंगी
अपनी ही कोटर में
साँसे मद्धम कर देंगी
अपनी रफ्तार
धड़कने बिसार देंगी
अपनी तपिश
उम्मीदें भूल जाएंगी
जागने का समय
संवेदना सो जाएगी
फिर न उठने के लिए
बुदबुदाहटें तोड़ देंगी दम
होंठो की दहलीज पर
रोशनी तलाश लेगी
अंधेरा कोई कोना
होकर शर्मिंदा
अपने उजलेपन पर
सूख जाएंगे तब
खारे समंदर
न उगेगा फिर
कोई जिंदा ख्वाब
न कस्मसायेंगे
सुर्ख गुलाब
मिट जाएगा
जेहन से हर एहसास
न जन्मेगा जब
कोई प्रतिकार
प्रतीक्षा में है
वो घड़ी
जब मौत भी सिहर जाएगी
जिंदगी के सन्नाटे से....
और मानव गिद्धों का देश
होगा समूचा संसार....
Post A Comment: