भगवान शिव को महाकाल कहा गया है और वहीं देवों के देव महादेव हैं। उन्होंने गंगा को अपने शीष पर धारण किया हुआ है। कहते हैं कि अगर भोले नाथ का पूरे श्रद्धा भाव से पूजा की जाए तो वो हमारी जिंदगी की सभी समस्याओं को समाप्त कर देते हैं। 
महाशिवरात्रि का शुभ मुहूर्त
21 तारीख को शाम को 5 बजकर 20 मिनट से 22 फरवरी, शनिवार को शाम सात बजकर 2 मिनट तक रहेगा।
वैष्णव संप्रदाय उदियात अर्थात् जो सूर्योदय के समय तिथि हो उसे मानते हैं। इसलिए इस साल महाशिवरात्रि 21 फरवरी को मनाई जाएगी। 
शैव संप्रदाय के अनुसार निशीथ में चतुर्दशी तिथि व्याप्त होने पर 21 फरवरी को शिवरात्रि का पर्व मनाया जाएगा। वहीं 22 फरवरी को वैष्णवों द्वारा उदियात (सूर्योदय के समय) में चतुर्दशी तिथि के चलते व्रत परायण करना श्रेयस्कर है। शिव खप्पर पूजन 23 फरवरी अमावस्या को होगा। उक्त जानकारी पं. अमित भारद्वाज ने दी है। शिवरात्रि पर भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए भगवान का रुद्राभिषेक किया जाता है। शिवरात्रि के दिन सुबह नहा धोकर मंदिर जाकर ओम नम: शिवाय मंत्र का जाप करना चाहिए।  
इसके बाद शिवलिंग पर शहद, पानी और दूध के मिश्रण से भोले शंकर को स्नान कराना चाहिए। इसके बाद बेल पत्र, धतूरा, फल और फूल भगवान शिव को अर्पित करने चाहिए। धूप और दीप जलाकर भगवान शिव की आरती करनी चाहिए। इस दिन भोले शिव को बेर चढ़ाना भी बहुत शुभ होता है। शिव महापुराण में कहा गया है कि इन छह द्रव्यों, दूध, योगर्ट, शहद,घी, गुड़ और पानी से भगवान शिव का रुद्राभिषेक करने से भगवान प्रसन्न होते हैं। 
जल से रुद्राभिषेक करने से शुद्धी
गु़ड़ से रुद्राभिषेक करने से खुशियां
घी से रुद्राभिषेक करने से जीत
शहद से रुद्राभिषेक करने से मीठी वाणी 
योगर्ट से रुद्राभिषेक करने से समृद्धि
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