पडताल-
इरशाद खान की कलम से-
हरदोईःऔद्यौगिक क्षेत्र सण्डीला की दूध फैक्ट्री में खाद्य सुरक्षा विभाग की टीम में मुख्य खाद्य निरीक्षक अम्बात्त पाण्डेय,खाद्य सुरक्षा अधिकारी अनुराधा कुशवाहा, घनश्याम वर्मा विवेक कुमार,अर्विन्द प्रजापति,राम किशोर,खुशी राम तथा लखनऊ से आई ए.सी.एफ.शशी पाण्डेय की अगुवाई में दिनाँक-१५ फरवरी २०१८ गुरूवार को छापा मारा। टीम को भारी मात्रा में दूध में मिलावती सामान यूरिया,हाइड्रोजन पाराहाक्साइड, माल्ट डेक्सटिंन, स्किन मिल्ड व ग्लूकोज आदि बरामद हुआ था तथा दो टैंकर दूध भी मिला था। मौके पर मौजूद खाद्य सुरक्षा टीम द्वारा कुल पाँच नमूने लिए गए थे। जिनमें से दो नमूने दूध के खाद्य सुरक्षा अधिकारी घनश्याम वर्मा के हाथों लखनऊ परीक्षण हेतु भेजे गए थे जिनकी रिपोर्ट गुरूवार को ही तीन बजे दूध फेल होने की आ गई थी। रिपोर्ट आने के बीच में ही अनुराधा कुशवाहा व अम्बात्त पाण्डेय ने फैक्ट्री मालिक से सम्पर्क स्थापित कर मोटी रकम तय की थी कि किसी तरह से दूध के टैंकर निकलवा देंगे। और एेसा ही हुआ? इसी लिए दूध के टैंकर के नम्बर व फोटो नहीं ली गई। घनश्याम खाद्य सुरक्षा अधिकारी ने ३ बजे अप्रान्ह दूध परीक्षण की रिपोर्ट लाकर ए.डी. पाण्डेय को दे दी।फैक्ट्री संचालक नवीन मिश्रा व उसका भाई योगेश मिश्रा ने दूध टैंकर रातों-रात गायब करा दिया। खाद्य सुरक्षा अधिकारियों ने दूध फेल होने की जाँच आने के बाद धारा ७२,७३ की कार्यवाई क्यों नहीं की थी। दूध फेल होने की सूचना मिलते ही दूध नष्ट क्यों नहीं कराया था, क्यों कि दूध को रात में ही निकलवाना था। इसीलिए फैक्ट्री को सीज नहीं किया गया और दूध के टैंकर पुलिस की सुपुर्दगी में भी नहीं दिए गए। इतनी बड़ी कार्यवाई की सूचना मीडिया को नहीं दी गई थी। वरना ए.सी.एफ.शशी पाण्डेय, योगेश त्रिवेदी (डी.ओ.) तथा अम्बात्त पाण्डेय व दूध टैंकरों का भी फोटो होता। फैक्ट्री मालिक को दो दिन का मौका क्यों दिया गया। नमूना भरने वाले खाद्य निरीक्षकों से एफ.आई.आर. क्यों नहीं लिखाई गई।२७ हजार लीटर दूध व टैंकर गायब होने की उंगली जब अधिकारियों पर उठने लगी तो वो अपना बचाओ करते दिखे। इस प्रकरण की जानकारी ए.सी.एफ.लखनऊ से करने पर उन्होंने अपना बचाओ करते हुए कहा कि कहीं तो चूक हो गई है। इसीलिए मेरे अधिकारियों ने खेल खेला है। मै लखनऊ मे थीं और दूध के टैंकर फैक्ट्री से गायब हो गए। बाद में खाद्य सुरक्षा अधिकारी डी. ओ. योगेश त्रिवेदी से सम्पर्क करने पर उन्होंने बस इतना ही कहा कि ए.सी.एफ. जो चाहें करवाएं। जब उनसे गायब दूध टैंकरों के नम्बर पूछे तो वो जवाब न दे सके। बहरहाल २७ हजार लीटर जहरीला दूध पीने से पचाँसो हजार लोगों की जिंदगी के साथ खिलवाड कर खाद्य सुरक्षा विभाग ने जघन्य अपराध किया है इसमें सम्मिलित अनुराधा कुशवाहा, घनश्याम वर्मा,अम्बात्त पाण्डेय, ए.सी.एफ. शशी पाण्डेय डी. ओ. योगेश त्रिवेदी इन पर ही संदेह की सूई धूम कर रूक जाती है।इसलिए जनहित में इन पर कार्यवाई किया जाना अति आवश्यक है क्यों कि इस दूध फैक्ट्री में छह माह में यह दूसरी बार कार्यवाई की जा रही है। पूर्व में भी अधिकारियों ने मोटी रकम प्राप्त कर फैक्ट्री को खोला था व लाइसेंस बाहाल किया गया था। मंगलवार को जिलाधिकारी ने खाद्य विभाग की बैठक बुलाकर निर्देश दिया था कि जहरीला दूध बनाने का सामान जो फैक्ट्री मालिक के ड्राइवर के कमरे में रखा मिला था उसको भी जाँच हेतु भेजा जाए। मगर कार्यवाई अधूरी है अम्बात्त पाण्डेय अब भी फैक्ट्री संचालक नवीन मिश्रा से सौदेबाजी में लगे हैं।
आगे भी पढ़ते रहिए ।
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