लखनऊ(K5 News)। 'एलडीए से लेआउट पास है', केवल इसी एक वाक्य के सहारे राजधानी में हजारों लोगों से करोड़ों रुपये ठगे जा चुके हैं। मोहान रोड जहा प्राधिकरण, भूमि अधिग्रहण की कार्यवाही पिछले करीब 5 साल से कर रहा है, वहा शहर की एक पुरानी रीयल एस्टेट कंपनी ने पहले से ही प्लाटिंग की हुई थी। ऐसे सैकड़ों आवंटी अब फंस चुके हैं। इसी तरह से सरोजनी नगर का एक प्रकरण सामने आया है। इसमें एलडीए का झासा देकर अनुसूचित जाति के व्यक्ति की भूमि बेची गई। इसी तरह की गड़बड़ कंछल कॉलोनाइजर्स ने भी की थी। जिस पर उपभोक्ता फोरम ने सख्त आदेश दिया था। फिर भी ऐसे दर्जनों कॉलोनाइजर्स की ठगी जारी है। मगर प्राधिकरण अपने स्तर से इनको रोकने की नाममात्र कोशिश कर रहा है। कई जगह कॉलोनिया सील करने का आदेश किया गया है फिर भी इनका विस्तार होता ही जा रहा है।मोहान रोड के एक पीड़ित कृष्णा नगर निवासी त्रिभुवन नारायण तिवारी बताते हैं कि पीआरएस इंफ्राटेक नाम की कंपनी के अधिकारियों ने मोहान रोड के कलियाखेड़ा में सस्ती जमीन मासिक किस्तों पर देने का झासा दिया था। पहले 10 हजार 200 रुपये लिये। इसके बाद में पाच हजार रुपये मासिक किस्त लेकर करीब 6.24 लाख रुपये उनसे ऐंठे। अब न तो जमीन दे रहे हैं और न उनकी धन वापसी हो रही है। इस प्रकरण में उन्होंने काकोरी थाने में केस भी दर्ज करवाया था। इनके साथ में विमला साव, बालकृष्ण तिवारी, सुषमा ओझा, समीना खातून भी पीड़ित हैं। इसी तरह से तिलक नगर की कामिनी देवी और राजकुमार बताते हैं कि उन्होंने भी मोहान रोड पर साहू डेवलपर्स से जमीन खरीदी है। मगर अब प्राधिकरण ने यहा अपनी कॉलोनी बनाने का फैसला किया। जबकि 2014 में जमीन की रजिस्ट्री हमारे नाम की गई। अब हमको प्राधिकरण से जो मुआवजा मिलेगा, उसमें बमुश्किल हमारी धन वापसी हो सकेगी। उसके लिए भी हजार चक्कर काटने होंगे।क्या कहते है अफसर? लविप्रा के उपाध्यक्ष प्रभु एन सिंह का कहना है कि मोहान रोड योजना, प्राधिकरण की अर्जित कॉलोनी है। यहा किसी का भी दखल नहीं है। जो भी यहा के जमीन मालिक हैं उनके लिए तय मुआवजा जिला प्रशासन को जमा करवाया जा चुका है। जो उनको मिलेगा। प्राधिकरण यहा बहुत जल्द ही विकास शुरू करवा देगा।
सस्ती और किस्तों वाली जमीन के झासे से बचें
- 200, 300 और 500 रुपये प्रति वर्ग फीट की दर से किस्तों पर उपलब्ध प्लाटों के झासे से बचें।
- एलडीए से लेआउट पास करा कर बनाई गई किसी भी कॉलोनी में इतने सस्ते भूखंड उपलब्ध नहीं होते हैं।
- कोई भी अगर आपको भूखंड बेच रहा है तो उससे सबसे पहले एलडीए से पास लेआउट से संबंधित परमिट नंबर मागे। अगर नंबर न दें तो आप प्राधिकरण के मानचित्र अनुभाग में संपर्क कर इसकी जानकारी दें।
- याद रखें अगर आप कहीं भी जमीन खरीद रहे हैं तो रजिस्ट्री के साथ ही दाखिल-खारिज अपने नाम पर जरूर करवा लें। ताकि भविष्य में आपको मुआवजा मिल सके। वरना एलडीए अधिग्रहण करने पर मुआवजा मूल स्वामी को ही देगा।
- एलडीए से लेआउट जहा भी पास नहीं होगा, वहा भविष्य में मूलभूत सुविधाओं की दिक्कत बनी रहेगी।
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