लखनऊ (K5 News)। प्रदेश सरकार ने एक बार फिर नगर निगम व नगर पालिका परिषद के गठन के नए सिरे से मानक तय किए हैं। अब तीन लाख से अधिक आबादी वाले शहर भी नगर निगम बन सकेंगे। बशर्ते प्रस्तावित क्षेत्र की 75 फीसद से अधिक जनसंख्या का व्यवसाय गैर कृषि कार्य हो। प्रस्तावित क्षेत्र में सड़क यातायात का अच्छा नेटवर्क हो। वहीं, नगर पालिका परिषद के लिए आबादी का मानक दो से पांच लाख के बजाय घटाकर दो से तीन लाख कर दिया गया है। दरअसल, नगर पंचायत को नगर पालिका परिषद व पालिका परिषद को नगर निगम बनाने तथा मौजूदा नगरीय निकायों का सीमा विस्तार करने के संबंध में सन 1986 के शासनादेश के तहत मानक तय थे। पिछली सपा सरकार ने वर्षों पुराने मानकों को बदलते हुए वर्ष 2014 में नए सिरे से मानक तय किए थे। मौजूदा सरकार ने तेजी से बदलते शहरी परिदृश्य और नागरिकों को बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराए जाने के मद्देनजर एक बार फिर प्रथम श्रेणी की नगर पालिका परिषद के लिए तय मानकों में बदलाव करने का फैसला किया है। प्रमुख सचिव नगर विकास मनोज कुमार सिंह द्वारा इस संबंध में शासनादेश जारी किया गया है जो कि तत्काल प्रभाव से लागू भी हो गया है।सरकार द्वारा अब तय किए गए मानक के मुताबिक प्रथम श्रेणी की नगर पालिका परिषद की स्थापना के लिए निर्धारित जनसंख्या के मानक को घटा दिया है। पहले दो से पांच लाख की आबादी वाले क्षेत्र को ही नगर पालिका परिषद बनाया जाता था। इसे घटाकर दो से तीन लाख की आबादी कर दी गई है। हालांकि, नगर पालिका परिषद बनने की शेष शर्तें यथावत रखी गई हैं।वहीं, नगर निगमों के गठन में जो मानक तय किए गए हैं उनमें प्रस्तावित क्षेत्र में शहरीकरण के गुण, पुलिस थाना, व्यावसायिक केंद्र, विद्यालय एवं अन्य शिक्षण संस्थान, स्वास्थ्य केंद्र, बिजली व्यवस्था व विभिन्न बैंकों की शाखाएं होना प्रमुख हैं। डाकघर, सार्वजनिक शौचालय, परिवहन व्यवस्था आदि की भी स्थिति अच्छी होनी चाहिए। इन सभी बिंदुओं को शामिल करते हुए निकाय के बोर्ड से पारित प्रस्ताव या फिर मंडलायुक्त की संस्तुति सहित स्पष्ट प्रस्ताव सरकार को भेजा जाएगा।
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