न्यूज़ लाइव टुडे के साहित्य सरोवर में आज प्रस्तुत है युवा कवियत्री मधु गुप्ता (दिल्ली) की रचना 'वो दरख्त'।
मधु एक लोकप्रिय कवियत्री होने के साथ - साथ एक समाज सेविका भी हैं। मधु जी की रचनाएंं मानवीय संवेदनाओं से पगी हुई हैं।
वो दरख़्त
वो दरख़्त आज भी वहीँ था
यादों से लिपटा हुआ
उतना ही खूबसूरत
जितने तुम हुआ करते थे ....
उन शाखों ने समेटी थी
पत्तों की चंचलता
जैसे तुम मुझे समेटा करते थे ....
सरसराहट कह सुनाने की
चलती रहीं देर तक
जैसे तुम मुझे सुनाया करते थे....
कुछ कह रहा था झूमकर तना भी ख़ुशी में कोई बात
जैसे तुम मुझे बताया करते थे......
मैं देख कर भी चल पड़ी थी बिना रुके
बिलकुल उसी तरह
जैसे तुम मुझे सताया करते थे ....
- "मधु सुधा "
मधु एक लोकप्रिय कवियत्री होने के साथ - साथ एक समाज सेविका भी हैं। मधु जी की रचनाएंं मानवीय संवेदनाओं से पगी हुई हैं।
वो दरख़्त
वो दरख़्त आज भी वहीँ था
यादों से लिपटा हुआ
उतना ही खूबसूरत
जितने तुम हुआ करते थे ....
उन शाखों ने समेटी थी
पत्तों की चंचलता
जैसे तुम मुझे समेटा करते थे ....
सरसराहट कह सुनाने की
चलती रहीं देर तक
जैसे तुम मुझे सुनाया करते थे....
कुछ कह रहा था झूमकर तना भी ख़ुशी में कोई बात
जैसे तुम मुझे बताया करते थे......
मैं देख कर भी चल पड़ी थी बिना रुके
बिलकुल उसी तरह
जैसे तुम मुझे सताया करते थे ....
- "मधु सुधा "
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