बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि अधीनस्थ न्यायालय से जिला जज के तौर पर सीधी नियुक्ति योग्य नहीं मानी जा सकती. इसकी योग्यता के लिए वकालत में 7 साल की प्रैक्टिस जरूरी है.


  • वकालत में 7 साल की प्रैक्टिस जरूरी
  • प्रैक्टिस के बाद इम्तिहान पास करने की भी शर्त
  • निचली अदालतों में एडीजे यानी एडिशनल डिस्ट्रिक्ट जज और इससे उपर के पदों पर भर्ती को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला सुनाया है. बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि अधीनस्थ न्यायालय से जिला जज के तौर पर सीधी नियुक्ति योग्य नहीं मानी जा सकती. इसकी योग्यता के लिए वकालत में 7 साल की प्रैक्टिस जरूरी है.
    सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मजिस्ट्रेट या मुंसिफ के रूप में अगर सेवा में हैं तो जिला जज के पद के लिए सीधे तौर पर उनकी नियुक्ति नहीं हो सकती. उन्हें भी बाकी उम्मीदवारों की तरह 7 साल की प्रैक्टिस के बाद इम्तिहान पास होने की शर्त पूरी करनी होगी.
    सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया कि जिला जज की परीक्षा के लिए कम 7 साल की वकालत की प्रैक्टिस जरूरी है. सिविल जज जूनियर डिविजन यानी अधीनस्थ न्यायपालिका के सदस्य, वकीलों के लिए डिस्ट्रिक्ट जज पद पर सीधी भर्ती परीक्षा में हिस्सा नहीं ले सकते. हायर ज्युडिशियल सर्विस में वकीलों की सीधी भर्ती परीक्षा के लिए 7 साल की वकालत का अनुभव जरूरी है.
    क्या है पूरा मामला
    दिल्ली हाईकोर्ट में पांच एडीजे की भर्ती के लिए आवेदन मांगे गए थे. इसमें शर्त रखी गई थी कि इस पद के लिए वकील को सात साल की प्रैक्टिस होना अनिवार्य है और इसके अलावा उम्र और शैक्षणिक योग्यता भी शामिल थी. स्पेशल रेलवे मजिस्ट्रेट हरियाणा (अंबाला) नीतिन राज सहित कई जजों ने भी इसी पद के लिए ऑनलाइन आवेदन करना चाहा.
    हालांकि, जजों का आवेदन स्वीकार नहीं किया गया. बाद में पता चला कि निचली अदालतों के जज एडीजे की परीक्षा के लिए योग्य नहीं हैं. इस मामले को एसआरएम नीतिन राज ने 23 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की.
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