नई दिल्ली। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में कांग्रेस के झूठ वादों से तंग आकर एक महिला अतिथि प्रोफेसर ने बुधवार को अपने केश त्यागते हुए सार्वजनिक रूप से खुद का मुंडन करवा लिया। मुंडन करवाने वाली महिला अतिथि विद्वान का नाम डॉक्टर शाहीन खान है। पिछले 72 दिनों से अपनी मांगों को लेकर धरने पर बैठे अतिथि विद्वानों में से एक शाहीन ने यह कदम कांग्रेस द्वारा पूर्ण रूप से नजरअंदाज किए जाने के बाद उठाया।
महिला ने भावुक होकर मीडिया से कहा कि कांग्रेस ने वादा किया था कि सरकार बनने पर हमारी मांगों को पूरा किया जाएगा। हमने साल भर तक इंतजार किया और उसके बाद ही हमने जब आंदोलन शुरू किया तो अतिथि विद्वानों को फालेन आउट नोटिस मिलना शुरू हो गए। हम यहां दो महीने से ठंड में धरना दे रहे हैं, लेकिन सरकार ने हमारी कोई सुध नहीं ली। हमने बच्चों को पढ़ाकर उनका भविष्य बनाया लेकिन अब खुद हमारा भविष्य अंधकारमय है इसलिए यहां से लिखित आर्डर मिलने तक हम नहीं उठेंगे।
गौरतलब है कि साल 2018 में कमलनाथ ने भाजपा पर निशाना साधने के लिए केशों को महिलाओं का सम्मान बताया था और तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को घेरते हुए महिला विद्वानों द्वारा केश त्यागने की घटना को दिल झकझोर देने वाली घटना कहा था। मगर, जब आज कांग्रेस के शासनकाल में अतिथि विद्वानों के साथ ऐसा अन्याय हो रहा है, तब इसकी सुध न मुख्यमंत्री कमलनाथ ले रहे हैं और न ही राहुल गांधी।
बता दें कि अपने नियमतिकरण की मांग को लेकर मध्य प्रदेश के अतिथि विद्वान 2 दिसंबर 2019 से आंदोलन कर रहे हैं जो अबतक जारी है।
महिला ने भावुक होकर मीडिया से कहा कि कांग्रेस ने वादा किया था कि सरकार बनने पर हमारी मांगों को पूरा किया जाएगा। हमने साल भर तक इंतजार किया और उसके बाद ही हमने जब आंदोलन शुरू किया तो अतिथि विद्वानों को फालेन आउट नोटिस मिलना शुरू हो गए। हम यहां दो महीने से ठंड में धरना दे रहे हैं, लेकिन सरकार ने हमारी कोई सुध नहीं ली। हमने बच्चों को पढ़ाकर उनका भविष्य बनाया लेकिन अब खुद हमारा भविष्य अंधकारमय है इसलिए यहां से लिखित आर्डर मिलने तक हम नहीं उठेंगे।
गौरतलब है कि साल 2018 में कमलनाथ ने भाजपा पर निशाना साधने के लिए केशों को महिलाओं का सम्मान बताया था और तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को घेरते हुए महिला विद्वानों द्वारा केश त्यागने की घटना को दिल झकझोर देने वाली घटना कहा था। मगर, जब आज कांग्रेस के शासनकाल में अतिथि विद्वानों के साथ ऐसा अन्याय हो रहा है, तब इसकी सुध न मुख्यमंत्री कमलनाथ ले रहे हैं और न ही राहुल गांधी।
बता दें कि अपने नियमतिकरण की मांग को लेकर मध्य प्रदेश के अतिथि विद्वान 2 दिसंबर 2019 से आंदोलन कर रहे हैं जो अबतक जारी है।
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