पत्रकार की सच्चाई.....

एक पत्रकार की कहानी आज आपको सुनाता हूँ
बिना तनख्वाह लोगों की न्यूजों को लगवाता हूँ तब जाकर मैं एक पत्रकार कहलाता हूँ। 
सुबह चार बजे का अलार्म भरकर सोना ,
चाहे वर्षा हो या सर्दी अखबार नहीं है खोना,
पकड़ साईकिल अखबार को लेने जाता हूँ, तब जाकर मैं एक पत्रकार कहलाता हूँ
चाहे दिन हो या रात न्यूज़ इकठ्ठा करना ,
पर अख़बार को यारों न्यूज़ वक्त पर ही देना,
जो कहीं न लग पाये न्यूज़ पैसे खाने वाला कहलाता हूँ , तब जाकर मैं एक #पत्रकार कहलाता हूँ। 
लोगों की मदद करके उनको खुश है करना,
चाहे अच्छी खबर मिले या बुरी खबर को लेना
फिर कुछ का दोस्त ज्यादा का दुश्मन बन जाता हूँ ,
तब जाकर मैं एक पत्रकार कहलाता हूँ। 
मेंरी पत्रकारिता को दिल में बसाकर रखना,
अपने पूरे भारत को तुम संभालकर रखना,
यही बात अपने सभी पत्रकार भाइयों को समझाता हूँ,
तब जाकर मैं एक पत्रकार कहलाता हूँ। 
हिन्दी पत्रकारिता दिवस की सभी कलमकारों को K5 न्यूज़ परिवार की हार्दिक बधाई। 

अंशुल श्रीवास्तव
प्रबंध सम्पादक


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