मोहनलालगंज लखनऊ के निगोहां क्षेत्र के दयालपुर गांव में शुक्ला परिवार के सुशील शुक्ला सतीश शुक्ला रजनीश शुक्ला द्वारा श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन किया जा रहा है जिसमें श्रीकृष्ण जन्म लीला का बखान श्री श्री ब्यास जी महाराज गोपाल शास्त्री जी के द्वार किया जा रहा है कि जब-जब धर्म की हानि होती है, के लिए भगवान अवतार लेते । तब सज्जनों का कल्याण ,संसार का कल्याण करने और राक्षसों का वध करने के लिए भगवान अवतार लेते हैं।श्रीकृष्ण का अवतार तब होगा जब आप सत्य निवेशी बनेंगे। अर्थात आपको सत्य की साधना करनी पड़ेगी। मां देवकी ने सत्य की साधना की। सत्य की साधना कष्टदायी हो सकती है, लेकिन इसके फल के रूप में हमें श्रीकृष्ण ही प्राप्त होंगे। वह हमारे जीवन को आनंद से भर देंगे। श्रीमद् भागवत कथा में चौथे दिन भी गजेन्द्र मोक्ष, रामकथा व कृष्ण जन्मोत्सव के भागवत रस की वर्षा होती रही। पूज्य गोपाल शास्त्री जी महाराज ने कृष्ण जन्म महोत्सव की कथा का बखान किया। भगवान श्रीराम एवं श्रीकृष्ण जन्म का गूढ़ रहस्य बताया। उन्होंने कहा कि मनुष्य को भगवान कृष्ण की लीलाओं को सुनना गाना चाहिए। इससे मनुष्य में सांसारिक रस समाप्त होकर धार्मिक रस का प्रवाह होता है। श्रीमद्भागवत कथा के चौथे दिन कथा व्यास ने श्रीकृष्ण जन्म की लीला का मनोहारी वर्णन किया। श्री मद् भागवत कथा के चौथे दिन के अमृत वचनों में आज भगवान श्री कृष्ण का जन्म कैसे हुआ और जन्म के बारे में श्रीमद्भागवत कथा के माध्यम से विस्तृत वृत्तांत बताया जिससे कथा सुनने आये भक्त गण। कथा में कृष्ण जन्मोत्सव में बडी संख्या में श्रद्धालु उमड पडे।कथा के दौरान फल, फूल, गुब्बारों व टॉफियों से सजे सत्संग हॉल में कृष्ण जन्मोत्सव मनाया गया। कृष्ण जन्म होते ही संपूर्ण सत्संग हॉल कन्हैयालाल की जयकारो से गुंज उठा तथा चहुंंओर पुष्पवर्षा की गई। जैसे ही भगवान श्रीकृष्ण के जन्म की कथा के साथ मंचन किया गया वैसे ही सत्संग पंडाल कृष्ण की जय-जयकार से गूंज उठा। ।नंद घर आनंद भयो, जय कन्हैया लाल की भजन की प्रस्तुति पर सत्संग हॉल में मौजूद श्रद्धालु झूमकर नाचने लगे।वातावरण भक्तों के आनंद से स्वयं आनंदित था तो हजार कंठो से निकली आवाज से पूरा आकाश गुंजायमान था। भक्त शैलेन्द्र शुक्ला ने बताया की सभी के कल्याण हेतु भागवत पाठ का आयोजनएवं पूजन किया जा रहा है इससे पूर्व गजेन्द्र गज के मोक्ष की कथा सुनाते हुए पूज्य गोपाल शास्त्री जी महाराज ने कहा कि मुसीबत में केवल इंसान का भगवान ही साथ देते हैं। जबकि प्राणी मोहमाया और परिवार के माया जाल में फंसकर प्रभु को भूल जाता है। ऐसा ही गजेन्द्र ने किया। संसार सरोवर है। जीव गजेन्द्र है । काल मगर है । सांसारिक विषयासक्त जीव को काल का भान नहीं रहता। काल जब आता है, तो उस समय न घबड़ाकर भगवत स्मरण में लग जाना चाहिए। भगवान हर हाल में अपने भक्त की रक्षा करते हैं। जिसकी जिह्वा पर एक बार भी भगवान का नाम आ गया, वे उसे तार देते हैं। चौथे दिन की कथा का समापन आचार्य श्री महाश्रमण गोपाल शास्त्री व आचार्य श्री श्याम जी फूलचंद्र जी द्वारा गाई आरती के साथ हुआ। सभी ग्राम वासियों के साथ अम्रत मयी कथा का रस पान किया।

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