सेना में महिलाओं को स्थाई कमीशन देने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर केंद्र सरकार को घेरने की कोशिश में कांग्रेस नेता राहुल गांधी खुद अपनी किरकिरी करा बैठे। दरअसल, दिल्ली हाई कोर्ट ने 2010 में ही भारतीय सेना महिलाओं को स्थाई कमीशन देने का निर्देश दिया था, लेकिन तत्कालीन यूपीए सरकार इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट चली गई थी। आज जब सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा तो राहुल गांधी को यह केंद्र सरकार को घेरने का अच्छा मौका लगा, लेकिन वह भूल गए कि उनकी ही पार्टी की सरकार इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट गई थी।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर राहुल गांधी ने अपने ट्वीट में कहा, 'सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में यह दलील देकर देश की हर महिला का अपमान किया है कि महिला सैन्य अधिकारी कमांड पोस्ट में नियुक्ति पाने या स्थाई सेवा की हकदार नहीं हैं, क्योंकि वे पुरुषों के मुकाबले कमतर होती हैं। मैं भाजपा सरकार को गलत साबित करने और उनके खिलाफ खड़े होने के लिए भारत की महिलाओं को बधाई देता हूं।'
इस मामले में महिला सैन्य अधिकारियों का केस लड़ने वाली वकील और भाजपा नेता मिनाक्षी लेखी तथा हाई कोर्ट के वरिष्ठ वकील नवदीप सिंह ने राहुल गांधी को याद दिलाई कि हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ भाजपा नहीं, तत्कालीन यूपीए की सरकार गई थी। नवदीप सिंह ने कहा, 'दिल्ली हाईकोर्ट के इस फैसले के खिलाफ 2010 में कांग्रेस सरकार सुप्रीम कोर्ट गई थी। मेरा मानना है कि इस तरह के फैसले पर राजनीति नहीं होनी चाहिए।'
471 लोग इस बारे में बात कर रहे हैं
सुप्रीम कोर्ट में इस मामले पर सुनवाई के दौरान जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा भी कि हाईकोर्ट के फैसले को तब सरकार ने बिना किसी देरी के 2010 में लागू कर दिया होता तो आज 14 से 20 साल सेवा में रह चुकीं महिला अधिकारी स्थाई कमीशन की हकदार होतीं। यह सरकार की विफलता है कि उस फैसले को लागू नहीं किया।
Mr Rahul Gandhi please click the refresh memory button. It was Congress govt that argued vociferously against permanent commissioning of women in the army back in2010 before the Delhi HC. Decision challenged before the SC which ruled in favour of women? Mr. G,it was YOUR OWN govt twitter.com/rahulgandhi/st …
1,700 लोग इस बारे में बात कर रहे हैं
मीनाक्षी लेखी ने भी राहुल गांधी पर तंज कसा है। उन्होंने कहा, 'कृपया, राहुल गांधी अपने मेमोरी बटन को रिफ्रेश करें। 2010 में केंद्र में कांग्रेस की ही सरकार थी, जिसने सेना में महिलाओं के लिए स्थाई कमीशन का दिल्ली हाईकोर्ट में विरोध किया था।'
क्या है सुप्रीम कोर्ट का फैसला?
सेना में महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन देने के दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने भी मुहर लगा दी है।कोर्ट ने कहा कि केंद्र सेना में कंबैट इलाकों को छोड़कर सभी इलाकों में महिलाओं को स्थाई कमान देने के लिए बाध्य है। केंद्र सरकार ने दिल्ली हाईकोर्ट के मार्च 2010 के उस फैसले को कोर्ट में चुनौती दी थी, जिसमें हाईकोर्ट ने सेना को अपनी सभी महिला अफसरों को स्थाई कमीशन देने का आदेश दिया था।
सेना में महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन देने के दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने भी मुहर लगा दी है।कोर्ट ने कहा कि केंद्र सेना में कंबैट इलाकों को छोड़कर सभी इलाकों में महिलाओं को स्थाई कमान देने के लिए बाध्य है। केंद्र सरकार ने दिल्ली हाईकोर्ट के मार्च 2010 के उस फैसले को कोर्ट में चुनौती दी थी, जिसमें हाईकोर्ट ने सेना को अपनी सभी महिला अफसरों को स्थाई कमीशन देने का आदेश दिया था।
Post A Comment: